अपने कर्तव्य का तत्परतापूर्वक पालन और दूसरे के अधिकारों की प्रेमपूर्वक
रक्षा-यही पारिवारिक व सामाजिक जीवन में उन्नति का सूत्र है। और भी स्पष्ट
रूप से कहें तो ʹअपने लिए कुछ न चाहो और भगवद्भाव से दूसरों की सेवा करो।ʹ
यही पारिवारिक, सामाजिक, राष्ट्रीय और वैश्विक उन्नति का महामंत्र है। क्या
आप इसका आदर कर इसे अपने जीवन में उतारेंगे ? यदि हाँ तो आपका जन्म-कर्म
दिव्य हो ही गया मानो।
रक्षा-यही पारिवारिक व सामाजिक जीवन में उन्नति का सूत्र है। और भी स्पष्ट
रूप से कहें तो ʹअपने लिए कुछ न चाहो और भगवद्भाव से दूसरों की सेवा करो।ʹ
यही पारिवारिक, सामाजिक, राष्ट्रीय और वैश्विक उन्नति का महामंत्र है। क्या
आप इसका आदर कर इसे अपने जीवन में उतारेंगे ? यदि हाँ तो आपका जन्म-कर्म
दिव्य हो ही गया मानो।
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