हे प्रभु आनंद दाता
हे प्रभु ! आनंद दाता !! ज्ञान हमको दीजिये
शीघ्र सारे दुर्गुणों को दूर हमसे कीजिये
हे प्रभु…
लीजिये हमको शरण में हम सदाचारी बनें
ब्रह्मचारी धर्मरक्षक वीर व्रतधारी बनें
हे प्रभु…
निंदा किसीकी हम किसीसे भूल कर भी न करें
ईर्ष्या कभी भी हम किसीसे भूल कर भी न करें
हे प्रभु ………
सत्य बोलें झूठ त्यागें मेल आपस में करें
दिव्य जीवन हो हमारा यश तेरा गाया करें
हे प्रभु ………
जाये हमारी आयु हे प्रभु ! लोक के उपकार में
हाथ ड़ालें हम कभी न भूलकर अपकार में
हे प्रभु ………
कीजिये हम पर कृपा ऐसी हे परमात्मा !
मोह मद मत्सर रहित होवे हमारी आत्मा
हे प्रभु ………
प्रेम से हम गुरुजनों की नित्य ही सेवा करें
प्रेम से हम संस्कृति की नित्य ही सेवा करें
हे प्रभु…
योगविद्या ब्रह्मविद्या हो अधिक प्यारी हमें
ब्रह्मनिष्ठा प्राप्त करके सर्वहितकारी बनें
हे प्रभु…
Saturday, June 13, 2009
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