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Wednesday, September 28, 2011

उपासना के नौ दिन

उपासना के नौ दिन




(पूज्य बापू जी के सत्संग से)



(शारदीय नवरात्रिः 28 सितम्बर से 5 अक्तूबर 2011)



नवरात्रि में शुभ संकल्पों को पोषित करने, रक्षित करने और शत्रुओं को मित्र बनाने वाले मंत्र की सिद्धि का योग होता है। वर्ष में दो नवरात्रियाँ आती हैं। शारदीय नवरात्रि और चैत्री नवरात्रि। चैत्री नवरात्रि के अंत में रामनवमी आती है और दशहरे को पूरी होने वाली नवरात्रि के अंत में राम जी का विजय-दिवस विजयादशमी आता है। एक नवरात्रि के आखिरी दिन राम जी प्रागट्य होता है और दूसरी नवरात्रि आती तब रामजी की विजय होती है, विजयादशमी मनायी जाती है। इसी दिन समाज को शोषित करने वाले, विषय-विकार को सत्य मानकर रमण करने वाले रावण का श्रीरामजी ने वध किया था।



नवरात्रि को तीन हिस्सों में बाँटा जा सकता है। इसमें पहले तीन दिन तमस को जीतने की आराधना के हैं। दूसरे तीन दिन रजस् को और तीसरे दिन सत्त्व को जीतने की आराधना के हैं। आखिरी दिन दशहरा है। वह सत्त्व-रज-तम तीन गुणों को जीत के जीव को माया के जाल से छुड़ाकर शिव से मिलाने का दिन है। शारदीय नवरात्रि विषय-विकारों में उलझे हुए मन पर विजय पाने के लिए और चैत्री नवरात्रि रचनात्मक संकल्प, रचनात्मक कार्य, रचनात्मक जीवन के लिए, राम-प्रागट्य के लिए हैं।



नवरात्रि के प्रथम तीन दिन होते हैं माँ काली की आराधना करने के लिए, काले (तामसी) कर्मों की आदत से ऊपर उठने के लिए लिए। पिक्चर देखना, पानमसाला खाना, बीड़ी-सिगरेट पीना, काम-विकार में फिसलना – इन सब पाशविक वृत्तियों पर विजय पाने के लिए नवरात्रि के प्रथम तीन दिन माँ काली की उपासना की जाती है।



दूसरे तीन दिन सुख-सम्पदा के अधिकारी बनने के लिए हैं। इसमें लक्ष्मी जी की उपासना होती है। नवरात्रि के तीसरे तीन दिन सरस्वती की आराधना-उपासना के हैं। प्रज्ञा तथा ज्ञान का अर्जन करने के लिए हैं। हमारे जीवन में सत्-स्वभाव, ज्ञान-स्वभाव और आनन्द-स्वभाव का प्रागट्य हो। बुद्धि व ज्ञान का विकास करना हो तो सूर्यदेवता का भ्रूमध्य में ध्यान करें। विद्यार्थी सारस्वत्य मंत्र का जप करें। जिनको गुरुमंत्र मिला है वे गुरुमंत्र का, गुरुदेव का, सूर्यनारायण का ध्यान करें।



आश्विन शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा से नवमी तिथि तक का पर्व शारदीय नवरात्रि के रूप में जाना जाता है। यह व्रत-उपवास, आद्यशक्ति माँ जगदम्बा के पूजन-अर्चन व जप-ध्यान का पर्व है। यदि कोई पूरे नवरात्रि के उपवास-व्रत न कर सकता हो तो सप्तमी, अष्टमी और नवमी तीन दिन उपवास करके देवी की पूजा करने से वह सम्पूर्ण नवरात्रि के उपवास के फल को प्राप्त करता है। देवी की उपासना के लिए तो नौ दिन हैं लेकिन जिन्हें ईश्वरप्राप्ति करनी है उनके लिए तो सभी दिन हैं।



स्रोतः ऋषि प्रसाद, सितम्बर 2011, पृष्ठ संख्या 11, अंक 225



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3 comments:

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

सुन्दर जानकारी ...जय माता दी ..सब को माँ की कृपा मिले
भ्रमर ५

देवी की उपासना के लिए तो नौ दिन हैं लेकिन जिन्हें ईश्वरप्राप्ति करनी है उनके लिए तो सभी दिन हैं।

Surendra shukla" Bhramar"5 said...

सुन्दर जानकारी ...जय माता दी ..सब को माँ की कृपा मिले
भ्रमर ५

Unknown said...


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