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Monday, December 7, 2009

मेरे घर में चहकती रहीं बेटियाँ   राह पापा की तकती रहीं बेटियाँ

अब की तनख्वाह पे ये चीज लाना हमें  कहते-कहते झिझकती रहीं बेटियाँ

छोड़ माँ, बाप, बेटा, बहू चल दिए  बनके खुशबू महकती रहीं बेटियाँ

अम्मा, दादा के आँसू के अंगार पर  बनके बदली बरसती रहीं बेटियाँ

सज के दुल्हन नई जब जली हो कहीं   मन ही मन में दहकती रहीं बेटियाँ

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