राष्ट्र में अध्यात्म-संस्कृति के प्रेरणास्रोत, परम श्रद्धेय
विश्वविभूति पूज्य संतप्रवर आसारामजी बापू राष्ट्र की ही नहीं विश्व की
अदभुत धरोहर हैं। सतत आध्यात्मिकता का अलख जगाने वाले इन महामानव पर भी
बेतुके आरोप लगाकर इनकी छवि को षड्यंत्र के तहत बदनाम करने की घिनौनी
साजिश की गयी। हर युग में दैवी व आसुरी शक्तियाँ रही हैं। भगवान श्रीराम... See More
व श्रीकृष्ण जैसे अवतारों पर भी लांछन लगे लेकिन सोना तो सदैव खरा ही
रहता है। वर्तमान समाज में ऐसे अनेक स्वार्थी तत्त्व हैं जो दूसरों का
मान – सम्मान नहीं देख सकते। श्रद्धेय बापूजी के द्वारा अध्यात्म
संस्कृति का जो संरक्षण और संवर्द्धन हो रहा है वह अद्वितिय है। छोटे-
छोटे बच्चों को गुरुकुल परम्परा द्वारा श्रेष्ठ संस्कार देना उनके भविष्य
का निर्माण करना है। आज सम्पूर्ण भारत में बापूजी का आदर है और बड़े
पैमाने पर अनेक धार्मिक कार्यक्रम व सेवाकार्य चल रहे हैं। लाखों की
संख्या में श्रद्धालु जनता उनके प्रवचनों में भाग लेती है और उनकी शिष्य
परम्परा में है। ऐसे संत पर बेतुके, निरर्थक आरोप मढ़कर घिनौनी साजिश रची
जा रही है। आज हिन्दू समाज एवं संबंधित धर्माचार्यों को बदनाम करने का
विश्वव्यापी षड्यंत्र चल रहा है, यह घिनौनी साजिश है। इसलिए हिन्दू समाज
का संगठन नितांत आवश्यक है।
श्रद्धेय बापू जी की कीर्ति, यश पताका निरंतर विश्व व आध्यात्मिक समाज
का मार्गदर्शन कर रही है और वे आगे भी भारत में आध्यात्मिक ऊर्जा के
प्रेरणा स्रोत बनकर लोक कल्याणकारी कार्यों का पथ-प्रदर्शन करेंगे।
श्री भानुमित्र शर्मा
सम्पादक, सुविख्यात पत्रिका 'गीता संदेश'।
('श्री गीता आश्रम इण्टरनेशनल चैरिटेबल ट्रस्ट' द्वारा प्रकाशित)
Monday, December 28, 2009
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