हम जगत को ठीक कर सकें यह हमारे हाथ की बात नहीं है। सबको हमारी शुभ इच्छा के अनुसार चलायें यह हमारे हाथ की बात नहीं है लेकिन सबमें बैठा हुआ परमात्मा निर्लेप नारायण है, असंग है, बाकी सब प्रकृति की लीला है ऐसा समझकर यथाशक्ति सबका हित करना और सुखद विचारों से सुखी रहना हमार हाथ की बात है।
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