हरि ॐ...
1. वेद व्यास जी ने युधिष्ठिर जी से कहा - नूतन वर्ष के प्रथम दिन जो मनुष्य हर्ष में रहता है, उस का पूरा वर्ष हर्ष में जाता है, और जो शोक में रहता है, उसका पूरा वर्ष शोक में व्यतीत होता है;
दीवाली की रात वर्ष की आखरी रात है, दूसरा दिन वर्ष का प्रारंभ है; जैसे सुबह प्रारंभिक प्रसन्नता तो दिन भर प्रसन्नता काम देती है, ऐसे ही वर्ष के प्रारंभ में प्रसन्नता वर्ष भर आपको प्रसन्नता और सफलता देगी;
2. ब्रह्म वैवर्त पुराण में भगवान श्री कृष्ण से पूछा, हे जनार्दन! किस के दर्शन से प्रसन्नता और पुण्याई बढ़ती है और किस के दर्शन से खिन्नता या पाप बढ़ता है? आप इन बातों को अभी समझ लेना, दीवाली के दिन अथवा उसके एक दो दिन पहले ही प्रसन्नता का सामान जुटा लेना;
3. किस के दर्शन से प्रसन्नता होती है?
गाय के घी के दर्शन से प्रसन्नता होती है; गाय का दूध भी पुण्यमाय दर्शन है; तीर्थ, देव प्रतिमा पुण्यमय दर्शन है; सती स्त्री का दर्शन (सदभाव, देवी भाव से) पुण्यमय है; सन्यासी, यति , ब्रह्मचारी, और गाय माता और अग्नि और गुरुदेव का दर्शन पुण्यमय माना जाता है;
हाथी, गजराज, सिंह, और श्वेत घोड़े का दर्शन पुण्यमय माना गया है; पोपट, कोकिला, हंस, मोर, बछङे सहित गाय का दर्शन पुण्यमय है;
पुण्यमय दर्शन वर्ष के प्रथम दिन हों, उसका ज़रा आप लोग ध्यान रखना; इस बात को एक दूसरे को बता देना जिस से भारत हमारा विशेष पुण्यमय हो जाए; पुण्यमय आप दर्शन करना;
तीर्थ यात्री जो ईमानदारी से तीर्थ यात्रा कर के आया है, दिखावे बिना की, उसका दर्शन भी पुण्यमय है; सुवर्ण, मणि, मोती, हीरा का दर्शन पुण्यमय है;
तुलसी जी का दर्शन भी पुण्यमय माना जाता है; सफेद फूलों का दर्शन (सुगंधित) वे भी पुण्यमय दर्शन माना जाता है; धान्य का दर्शन, गाय के दूध का, दही का, मधु का, और पानी से भरे हुए गंगा-जल अथवा पानी से भरे हुए जल का दर्शन भी पुण्यमय माना जाता है;
सुबह सुबह अपना दीदार और अपने ठाकुर जी का दीदार आईने में हो जाए, बड़ा पुण्यमय दर्शन होता है; श्वेत फूलों की माला का दर्शन पुण्यमय माना जाता है; चाँदी का दर्शन और नदी, तालाब, अथवा समुद्र का दर्शन भी आह्लाद और पुण्य देने वाला है; फूलों की वाटिका का दर्शन भी आह्लाद और सत्त्व-गुण देता है;
शास्त्रों ने कहा "सुगंधिम् पुष्टि वर्धनम्"; श्री कृष्ण ने कहा "पुण्यो गंधाम पृथ्व्यां च"; जो पर्फ्यूम है वो पुण्यमयी गंध नहीं है, वो विकारमयी गंध है; लेकिन यह कुदरती फूलों की गंध पुष्टि-वर्धक है, आयुष्य बढ़ाती है, ज्ञान तंतुओं को ताज़ा तवाना रखती है; इसलिए ठाकुर जी को जो फूल चढ़ाते हैं, उनका घूम फिर कर अपने को ही फायदा मिलता है;
कस्तूरी, चंदन और चंद्रमा का दर्शन पुण्यमय माना जाता है; कुमकुम का दर्शन पुण्यमय माना जाता है; अक्षय वट और पीपल का दर्शन पुण्यमय है; देवालय और देव संबंधी जलाशय का दर्शन पुण्यमय माना जाता है;
श्री कृष्ण कह रहे हैं, उनकी बात में संदेह ना करना, इन पुण्यमय वस्तुओं का दर्शन करना आप चालू कर दो और वर्ष के प्रथम दिन तो इसका दर्शन ज़रूर करना नहीं तो मारूँगा [गुरुदेव हँसते हुए ] हम हाथ जोड़कर प्रार्थना करते हैं और दम मारकर भी कहते हैं की ऐसे पुण्यमय दर्शन नहीं करोगे तो मारूँगा ...नारायण नारायण नारायण...
मूँगा, रजत, स्फटिक, मणि, कुशा, और गंगाजी की मिट्टी का दर्शन भी पुण्यमय कहा श्री कृष्ण ने;
तांबे का दर्शन; स्वास्थ्य के लिए वरदान है तांबे में रखे हुए पानी का उपयोग करना; भगवान ने धन संपत्ति दी है, तो दूध उबलता है उस में सोने की चूड़ी डाल दो, अथवा सोने का जो कुछ हो घर में वो डाल दो - पुष्टि वर्धक है, बुद्धि वर्धक है;
पुराण पुस्तक, श्रेष्ठ पुस्तक, शास्त्रों का दर्शन भी पुण्यमय है; तो आप वर्ष के प्रथम दिन भागवत पुराण, शिव पुराण, महाभारत हो, वेद पुराण हो, जो भी हो, उन के दर्शन कर लेना;
सोने/चाँदी के बर्तन में घी का दर्शन हो जाए तो अच्छा है, नहीं तो काँसे की ताली में भी कर सकते हैं; गौ-दुग्ध, गौ-मूत्र (गौ झरण अर्क), गौ-गोबर का दर्शन भी पुण्यमय माना है;
तुलसी के पत्ते और गौ-मूत्र सात दिन तक बासी नहीं माना जाता है; गाय की खुरों की धूलि का दर्शन भी अच्छा होता है; गौशाला के गौ खुरों का दर्शन भी मंगलमय माना जाता है;
पकी हुई खेती से भरे हुए खेत और सौभाग्यवती गहने गाँठे और सिंदूर के तिलक से संपन्न नारी देवी का दर्शन (सदभाव से, जगदंबा भाव से) भी पुण्यमय माना जाता है;
हरी दूर्वा, तांदुल, शुद्ध सात्त्विक भोजन, उत्तम अन्न का दर्शन भी पुण्यमय माना जाता है;
4. किन वस्तु, व्यक्तियों के दर्शन से पाप होता है?
जिन के दर्शन से पुण्य होता है वो सुन लिया, और जिनके दर्शन से पाप होता है, उन से सावधान रहना;
गौ, ब्राह्मण के हत्यारे का दर्शन पाप देने वाला होता है; हरे पीपल का घात करने वाला, काटने वाले का दर्शन पाप उपजाता है;
जो कृतघ्न व्यक्ति है उसके दर्शन से पाप लगता है; भगवद् मूर्ति को तोड़ने वाले का दर्शन, माता-पिता का हत्यारा का दर्शन पाप देता है; विश्वास-घाती और झूठी गवाही देने वाला का दर्शन पाप देता है; अतिथि के साथ छल करने वाले का दर्शन पापमयी है; देवता/ब्राह्मण के धन का अपहरण करने वाला, शिव/विष्णु की निंदा करने वाला और दीक्षा-रहित (निगुरा) आचार-हीन का दर्शन पापमय होता है; देवता के चढ़ावे और पूजा पर जो जीवित रहता है उसका दर्शन भी उन्नति कारक नहीं, पापमय माना गया है; नककटी नारी (जो आया सो करने लगी) का दर्शन भी वर्जित कहा है; देवता/ब्राह्मण की निंदा करने वाला, और पति भक्ति विहीन, विष्णु भक्ति से शून्य, व्यभिचारिणी स्त्री का दर्शन भी पापमय माना गया है; चोर, मिथ्या-वाडिनी, और शरणागतों को जो सताता है, माँस की चोरी करने वाले का दर्शन पापमय माना जाता है;
5. आप वर्ष के प्रथम दिन पुण्यमय दर्शन के लिए अगर हीरा, सुवर्ण, चाँदी का बर्तन हो, गाय का घी हो, पुराण का दर्शन;
सब चीज़ें याद रख पाओ ना रख पाओ, जितनी 2-4 चीज़ें याद रह जायें - घी तो याद रह सकता है, दीप, तीर्थ-यात्री का दर्शन;
और उन पुण्यमय दर्शनों में पुण्यों के दाता और पुण्यों के साक्षी प्रभु का चिंतन मिला दोगे, तो दर्शन आए हाय! हरि हरि! प्रभु प्रभु! आनंद आनंद!;
गाय को तो देखो लेकिन गाय में चेतना तेरी है, ऐसे करके दर्शन करो, तो मुझे लगता है और अच्छा पुण्यमय हो जाएगा; तुलसी का दर्शन, पीपल का दर्शन, यह तो आप आसानी से कर सकते हैं; आइने का दर्शन सुबह सुबह मंगलमय भाव से; अपने कमरे में ऐसे चित्र रखो की महापुरुषों का दर्शन हो जाए; और वर्ष के प्रथम दिन इस बात की सावधानी रखना;
जैसे संक्रामक रोग ना चाहे तो भी चिपक जाता है, ऐसे ही ना चाहते हुए भी इस वर्ष यह पुण्य सब को चिपक जाए जिस से देश और व्यक्ति का जीवन सुखमय हो, आनंदमय हो, आरोग्यमय हो;
वर्ष के प्रथम दिन प्रभु से कहो, बिन फेरे हम तेरे और हास्य प्रयोग ज़रूर से करना;
Monday, October 19, 2009
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