Sunday, October 25, 2009
जीवन जीने के कला
तुम जियो तो एसा जियो की जेसे देखो उसमे बस , अपना आत्मा ब्रह्म दिखे ! एसा खावो की जो खावो वह प्रशाद हो जाए ! जीवन बड़ा कीमती है ! वैमनस्य और विग्रह से अपनी शक्तियों को कम क्यो करना ? व्यर्थ की चर्चा और व्यर्थ का वाणी विलास करने से अपने को बचोवो ! सत्य परमात्मा में मन को लगावो ! इसी जीवन में धन्यता का अनुभव करो ! ........पूज्य संत श्री आशाराम बापू .
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