ʹʹजिन व्यक्तियों के जीवन में संयम-व्यवहार नहीं है, वे न तो स्वयं की ठीक
से उन्नति कर पाते हैं और न ही समाज में कोई महान कार्य कर पाते हैं।
भौतिकता की विलासिता और अहंकार उनको ले डूबता है। वे रावण और कंस की
परम्परा में जा डूबते हैं। ऐसे व्यक्तियों से बना हुआ समाज और देश भी सच्ची
सुख-शांति व आध्यात्मिक उन्नति में पिछड़ जाता है।
हे भारत के विद्यार्थियो ! तुम संयम-सदाचारयुक्त जीवन जीकर अपना जीवन तो समुन्नत करो ही, साथ ही देश की उन्नति के लिए भी प्रयत्नशील रहो। वही सफल होता है जो आत्म-उन्नति करना जानता है। अपनी संस्कृति पर कुठाराघात करने वाले कुचालों से सावधान रहो और अपनी संस्कृति की गरिमा बढ़ाओ। इसी में तुम्हारा व परिवार, समाज, राष्ट्र और मानवता का हित निहित है।"
हे भारत के विद्यार्थियो ! तुम संयम-सदाचारयुक्त जीवन जीकर अपना जीवन तो समुन्नत करो ही, साथ ही देश की उन्नति के लिए भी प्रयत्नशील रहो। वही सफल होता है जो आत्म-उन्नति करना जानता है। अपनी संस्कृति पर कुठाराघात करने वाले कुचालों से सावधान रहो और अपनी संस्कृति की गरिमा बढ़ाओ। इसी में तुम्हारा व परिवार, समाज, राष्ट्र और मानवता का हित निहित है।"
1 comment:
aap bade hi sahaj bhav se jivan ki sachaii baya kar dete hai..
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