माँ
अपने आँचल से ढँककर बच्चे को
दूध पिलाने वाली माँ ये जरूर भूल जाती होगी कि आज उसने खाना खाया है या
नहीं परंतु उसे ये जरूर याद रहता है कि मेरा बच्चा भूखा है। नौ माह तक गर्भ में संतान को पालने वाली माँ ना जाने कितनी शारीरिक तकलीफ सहती है परंतु
अपनी उम्र के उत्तरार्द्ध में जब उसी गर्भ पर बेटे की लात पड़ती है या आपकी बातें उसके दिल को दुखाती है तो वो खामोश रहकर यही कहती है 'मेरे बेटे ने
ये सब गुस्से में किया होगा। वो बहुत अच्छा है।'
पिता
समंदर के जैसा भी है पिता,
जिसकी सतह पर खेलती हैं असंख्य लहरें, तो जिसकी गहराई में है खामोशी ही
खामोशी। वह चखने में भले खारा लगे, लेकिन जब बारिश बन खेतों में आता है तो
हो जाता है मीठे से मीठा।
माँ की पिता की यह बाते कभी नहीं भूल सकते तो आवो मिलकर उन्हें सन्मानित करे उनके पूजन से 14 फेब को माता पिता पूजन दिन
अपने आँचल से ढँककर बच्चे को
दूध पिलाने वाली माँ ये जरूर भूल जाती होगी कि आज उसने खाना खाया है या
नहीं परंतु उसे ये जरूर याद रहता है कि मेरा बच्चा भूखा है। नौ माह तक गर्भ में संतान को पालने वाली माँ ना जाने कितनी शारीरिक तकलीफ सहती है परंतु
अपनी उम्र के उत्तरार्द्ध में जब उसी गर्भ पर बेटे की लात पड़ती है या आपकी बातें उसके दिल को दुखाती है तो वो खामोश रहकर यही कहती है 'मेरे बेटे ने
ये सब गुस्से में किया होगा। वो बहुत अच्छा है।'
पिता
समंदर के जैसा भी है पिता,
जिसकी सतह पर खेलती हैं असंख्य लहरें, तो जिसकी गहराई में है खामोशी ही
खामोशी। वह चखने में भले खारा लगे, लेकिन जब बारिश बन खेतों में आता है तो
हो जाता है मीठे से मीठा।
माँ की पिता की यह बाते कभी नहीं भूल सकते तो आवो मिलकर उन्हें सन्मानित करे उनके पूजन से 14 फेब को माता पिता पूजन दिन
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