बहुत से ऐसे लोग मिलेंगे जो कहेंगे कि उन्हें किसी से प्यार हो गया है।
अपने प्रेम को पाने के लिए वह दुनिया छोड़ने की बात करेंगे। लेकिन वास्तव
में प्रेम को पाने के लिए दुनिया छोड़ने जरूरत ही नहीं है। प्रेम तो
दुनिया में रहकर ही किया जाता है। जो दुनिया छोड़ने की बात करते हैं वह तो
प्रेमी हो ही नहीं सकते है। दुनिया छोड़ने की बात करने वाले लोग वास्तव
में रूप के आकर्षण में बंधे हुए लोग होते हैं। वह प्रेम के वास्तविक
स्वरूप से अनजान होते हैं।
जिस प्रेम को पाने के लिए बचैन थे वह तो क्षण भंगुर है। यह प्रेम तो संसार से दूर ले जाता है। वास्तविक प्रेम तो ईश्वर से हो सकता है जो कण-कण में मौजूद है उसे पाने के लिए बेचैन होने की जरूरत नहीं है उसे तो हर क्षण अपने पास मौजूद किया जा सकता है।
जिस प्रेम को पाने के लिए बचैन थे वह तो क्षण भंगुर है। यह प्रेम तो संसार से दूर ले जाता है। वास्तविक प्रेम तो ईश्वर से हो सकता है जो कण-कण में मौजूद है उसे पाने के लिए बेचैन होने की जरूरत नहीं है उसे तो हर क्षण अपने पास मौजूद किया जा सकता है।
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