तुम संयम-सदाचारयुक्त जीवन जीकर अपना जीवन तो समुन्नत करो ही, साथ ही देश
की उन्नति के लिए भी प्रयत्नशील रहो। वही सफल होता है जो आत्म-उन्नति करना
जानता है। अपनी संस्कृति पर कुठाराघात करने वाले विदेशियों की कुचालों से
सावधान रहो और अपनी संस्कृति की गरिमा बढ़ाओ। इसी में तुम्हारा व परिवार,
समाज, राष्ट्र और मानवता का हित निहित है।"
Tuesday, January 29, 2013
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