यह शरीर तो मल, मूत्र,
पसीना, खून से भरा हुआ मांस का लोथड़ा है। जब आप सुबह सोकर उठते हैं तो
देखिए शरीर के हर द्वार से गंदगी ही बाहर निकल रही है। इस गंदगी से भरे
शरीर के प्रति इतना लगाव क्यों? इसकी बजाय शरीर को धारण करने वाली सत्ता को
देखें, उससे प्रेम करें, जो आपके और सामने वाले में एक ही है। शरीर में
भेद है लेकिन शरीरों को चलाने वाली चेतना में भेद नहीं।
Saturday, January 26, 2013
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