सब घट मेरा साँईया खाली घट न कोय।
बलिहारी वा घट की जा घट परगट होय।।
कबीरा कुँआ एक है पनिहारी अनेक।
न्यारे न्यारे बर्तनों में पानी एक का एक।।
कबीरा यह जग निर्धना धनवंता नहीं कोई।
धनवंता तेहू जानिये जा को रामनाम धन होई।।
Sunday, May 2, 2010
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