Saturday, March 20, 2010
समझ
सत्संग के द्वारा ये समझ बढाए की शरीर की बिमारी मुझ में नहीं है, शरीर में बिमारी है, ये जानेगा..मुझ में बिमारी ऐसा मानेगा तो बिमारी तुम को ओर दबोचेगी… दुःख मुझ में नहीं, मन में दुःख आया.. टेंशन है तो मन में है, तनाव है तो मन में है; मुझ में नहीं….ऐसा जो जानता उस का जन्म और कर्म दिव्य होते..जो सामान्य मनुष्य जगत को सच्चा मानता तो उस की आत्मा की दिव्यता के ऊपर अ-ज्ञान का पर्दा पडा है…
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment